आंवला नवमी
1- स्नान] प्राणायाम एवं ध्यान करें।
2- गणपति की स्थापना करें
3- जैसे अन्य पूजा की जाती है वैसे ही आँवले के पेड़ की पूजा करें। पूजन विधि 8 फ़रवरी 2014 के दूसरे ब्लॉग में दी गई है। पूजा में आँवले अवश्य चढ़ाएं।
4-आँवले के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत उसके तने के चारों और लपेटते जाएँ।
5- aआंवला नवमी की कथा कहें।
6- इस दिन ब्राह्मण&ब्राह्मणी के जोड़े को भोजन कराएं अथवा सीदा ¼भोजन सामग्री½ उनके घर भिजवाएं या दें।
7- आंवला नवमी के दिन आंवलों का दान अवश्य करें।
8- सासुजी] ननंद] बेटी का बायना निकाले और धोक लगाकर उनको देवें या घर भिजवाएं।
ढोला हिंगराज का ] पूछा गजराज का ] दाल भात] गेंहू के फलके ] उसपर ढेर हो खांड का ]
परोसन वाली ऐसी मांगू जैसे फूल गुलाब का।
गणेश जी बोले कि बालक तू तो बड़ा बुद्धिमान है] तूने तो एक ही बार में सब कुछ मांग लिया। जा ऐसा ही होगा। बालक घर गया। उसने देखा बहुत ठाठ बाट हो गए थे। उसने अपनी माँ से कहा देख & गणेश जी की कृपा और आशीर्वाद से हुआ है यह सबकुछ। माँ बहुत प्रसन्न हो गई।
हे गणेश जी महाराज जैसे उस बालक को धन दिया वैसे ही सब को देना।
2- गणपति की स्थापना करें
3- जैसे अन्य पूजा की जाती है वैसे ही आँवले के पेड़ की पूजा करें। पूजन विधि 8 फ़रवरी 2014 के दूसरे ब्लॉग में दी गई है। पूजा में आँवले अवश्य चढ़ाएं।
4-आँवले के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत उसके तने के चारों और लपेटते जाएँ।
5- aआंवला नवमी की कथा कहें।
6- इस दिन ब्राह्मण&ब्राह्मणी के जोड़े को भोजन कराएं अथवा सीदा ¼भोजन सामग्री½ उनके घर भिजवाएं या दें।
7- आंवला नवमी के दिन आंवलों का दान अवश्य करें।
8- सासुजी] ननंद] बेटी का बायना निकाले और धोक लगाकर उनको देवें या घर भिजवाएं।
आंवला नवमी की कथा
एक अांवलिया नामक राजा था। राजा&रानी दोनों रोजाना सवा मन वजन के सोने के आंवले दान करने के बाद ही भोजन करते थे। उनके बेटे&बहु ने सोचा कि ऐसे तो एक दिन भूखा मरने की स्थिति आ जायेगी। उन्होंने राजा से आंवला दान करने के लिए मना कर दिया। राजा रानी रूठकर जंगल में जाकर रहने लग गए। राजा चूँकि सोने के आंवले दान नहीं कर पा रहा था इसलिए भोजन भी नहीं कर पा रहा था। राजा की आस्था देखकर भगवान ने सोचा कि यदि इसके सत को नहीं रखा तो लोगों में अच्छा सन्देश नहीं जाएगा।अतः भगवान ने रात में सपने में राजा से कहा जा देख जंगल में बहुत से आंवले के पेड़ लग रहे हैं। राजा ने सुबह उठकर देखा की सैंकड़ों आंवले के पेड़ उग आएं हैं और उन पर सोने के ही आंवले उग रहे हैं।राजा ने फिर से आंवले दान करना शुरू कर दिया। उसके पहले से भी अधिक ठाठ बाट हो गए थे। उधर राजा के बेटे बेटी दुखी हो गए थे उनको भर पेट भोजन मिलाना भी कठिन हो गया था। जनता ने राजकुमार को बताया कि वन में एक वैभवशाली राजा है जो रोज सोने के आंवले दान करता है। राजा के बेटे बहु भी कुछ मिलने की आशा में वहां पहुंचे। रानी ने महल की छत पर से उनको देख लिया। उसने अपने मंत्री से कहा कि उन दोनों को नौकरी पर रख लो। उस औरत को मेरे रनवास में दासी रख लो। एक दिन रानी ने दासी रूपी बहु को अपने बाल धुलवाने के लिए बुलवाया। बाल धोते समय दासी की आँखों से आंसू की बूंदें रानी की पीठ पर गिरी। रानी ने बहु से रोने का कारण पूछा। बहु बोली कि मेरी सासु माँ की पीठ पर भी आपके जैसा ही मस्सा था। वो भी रोज सवा मन सोने के आंवले दान करती थी। हमने उन्हें आंवले दान करने से मना कर दिया उससे रूठकर वे राज्य छोड़कर चले गए। इससे हमारा वैभव भी चला गया। तब रानी बोली वो तुम्हारी सास मैं ही हूँ। तुमने हमारा तिरस्कार किया पर भगवान ने हमारा सत रखा। बेटे बहु को बहुत पछतावा हुआ उन्होंने माफ़ी मांगी और फिर से सभी साथ रहने लगे।
हे भगवान जैसे राजा रानी का सत रखा वैसे ही सबका रखना।
अनुकरणीय सन्देश
1. अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करने से वैभव बढ़ता है।
2 . आंवले को स्वास्थ्य वर्धक होने से अमृत फल माना गया है। अतः इसका दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
3 आंवले के वृक्ष की पूजा का महत्व भी इसीलिए है। इसलिए इसकी सुरक्षा करना हमारा दायित्व है।
गणपति की कथा & बुद्धिमान बालक
एक बालक गणेश जी का भक्त था। बुद्धि भी गणेश जी ने उसे तेज दी थी। उसकी भक्ति से उसकी माँ चिढ़ती थी। एक दिन इसी बात को लेकर वह माँ से लड़कर घर छोड़कर निकल गया। बोल कर गया कि मैं गणेश जी से मिलकर ही घर लौटूंगा। गणेश जी ने देखा कि यह बालक लौटकर घर नहीं गया तो जंगली जानवर इसे मार डालेंगे। मेरा नाम बदनाम हो जाएगा। अतः गणेश जी ने एक बूढ़े ब्राह्मण का रूप धार कर बालक से पूछा कि तू कहाँ जा रहा है। बालक ने कहा कि मैं गणेश जी से मिलने जा रहा हूँ। तब उन्होंने कहा कि मैं ही गणेश हूँ। मैं तुझसे बहुत प्रसन्न हूँ तुझे जो चाहिए मांग ले लेकिन एक शर्त है कि एक ही बार में मांग लेना। लड़का अपनी तीव्र बुद्धि से सोच कर बोला & क्या मांगू बापूजीढोला हिंगराज का ] पूछा गजराज का ] दाल भात] गेंहू के फलके ] उसपर ढेर हो खांड का ]
परोसन वाली ऐसी मांगू जैसे फूल गुलाब का।
गणेश जी बोले कि बालक तू तो बड़ा बुद्धिमान है] तूने तो एक ही बार में सब कुछ मांग लिया। जा ऐसा ही होगा। बालक घर गया। उसने देखा बहुत ठाठ बाट हो गए थे। उसने अपनी माँ से कहा देख & गणेश जी की कृपा और आशीर्वाद से हुआ है यह सबकुछ। माँ बहुत प्रसन्न हो गई।
हे गणेश जी महाराज जैसे उस बालक को धन दिया वैसे ही सब को देना।
अनुकरणीय सन्देश
1 गणेश जी की आराधना से बुद्धि तीव्र होती है।
2- तीव्र बुद्धि का उपयोग करके ही हम धन सम्पदा अर्जित कर सकते हैं
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