रविवार, 9 फ़रवरी 2014

puja, wrat upwas,katahyen aur unake sandesh - shitalaa maata ka wrat,pujan ewam kahani -



शीतला माता का व्रत] पूजन एवं कहानी 

पूजन विधि 
1-सर्वप्रथम दिनांक 8 फ़रवरी 2014 के ब्लॉग में दिए अनुसार प्राणायाम] ध्यान एवं गणपति का पूजन करें। 
2-इस दिन छिद्रयुक्त पत्थर से बने माता के स्थानक पर पूजा की जाती है। शीतला माता का पूजन भी पूर्व में बताई गई उसी विधि से किया जाता है जैसे कि सारे पूजन किए जाते हैं। 
3.चूँकि यह माता की पूजा है अतः अन्य शृंगार  के साथ ही मेहंदी भी चढ़ाई जाती है। पिछले दिन बनाई गई  ठंडी भोजन सामग्री का भोग लगाएं। भोजन सामग्री में दही का प्रयोग अवश्य करें।  
4.सासू जी के लिए बायना निकाले।  
5 कथा के बाद आरती करें। 
6. तत्पश्चात भोजन करें। 
7 इस दिन पथवारी की पूजा भी की जाती है।

कथा -
एक गाँव में एक वृद्धा कुम्हारन रहती थी। वो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को शीतला माता की पूजा करती और एक दिन पहले का बनाया हुआ ठंडा भोजन करती थी। गाँव के लोग उसकी हंसी उड़ाते थे कि पता नहीं किसकी पूजा करती है  और बाँसी खाती है। एक बार शीतला सप्तमी के दिन गाँव में आग लगने से वृद्धा की झोंपड़ी को छोड़कर सबके घर जल गए। गाँव वालों को यह देखकर आश्चर्य हुआ। वे उस वृद्धा के पास गए और पूछा कि माई तेरा झोंपड़ा क्यों नहीं जला। उसने कहा मैं शीतला माता का व्रत करती हूँ इसलिए नहीं जला। शीतला की पूजा करने से चेचक जैसी बिमारी नहीं होती है और व्यक्ति कुरूप होने या मरने से बच जाता है।  
तूम सब भी यह पूजा किया करो। वृद्धा की बात सुनकर उस दिन से सारे गाँव वाले शीतला सप्तमी के दिन माता का पूजन और बाँसी भोजन करने लगे। 
हे माता जैसे आपने वृद्धा कुम्हारन की रक्षा की वैसे हम सबकी भी करना।

अनुकरणीय सन्देश -

  • कभी किसी के द्वारा किए गए कार्य का मजाक न बनाए।
  • यह जानने का प्रयास करें कि वो उस  कार्य को क्यों कर रहा है।
  • ऐसा मन जटा है कि ऋतू परिवर्तन के कारण होने वाली बीमारियों से लड़ने में दही आदि से निर्मित भोजन सामग्री शरीर की गर्मी को शीतलता प्रदान कर सक्षम बनती है। 




  

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