चौथ माता की कहानियां
वर्ष भर में चार चौथ सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। ऐसी मान्यता है कि चौथ के व्रत से मनोकामना पूर्ण होती है और परिवार की सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। अतः कई महिलायें बारह महीनो की चौथ का व्रत रखती हैं। विशेष चौथ की कहानियाँ सम्बंधित माह में दी जाएंगी। अन्य मासिक चौथ के लिए कहानियां आगे दी जा रही है। चौथ अर्थात चतुर्थी का पौराणिक माहात्म्य क्या है इसे इसी ब्लॉग में फिर कभी दिया जाएगा।कहानी&1
एक गाँव में एक लकड़हारा अपनी माँ के साथ रहता था। बेटा जंगल से लकड़ी बीनकर लाता और उन्हें बेचकर घर खर्च आराम से चलाता था। बेटा जो लकड़ी लाता उसमें से उसकी माँ दो लकड़ी अलग रख लेती थी।माँ महीने भर में एकत्र लकड़ी बेचकर चौथ माता के पूजन और व्रत की सामग्री खरीद कर ले आती थी। चौथ के दिन पांच लड्डू बनाती] एक गणेश जी का] एक चौथ माता का] एक बायने का] तथा चन्द्र दर्शन के बाद एक खुद खा लेती थी। एक चौथ के दिन बेटा पड़ोस में गया तो उसने महिलाओं को चौथ माता का पूजन करते देखा। उसने पूछा कि ये आप किसकी पूजा कर रही हो\ एक महिला बोली की हम चौथ माता की पूजा कर रहीं हैं] तेरी माँ भी तो हर महीने पूजा करती है] लड्डू बनाती है] क्या तुझे खाने को नहीं देती है \ बेटा घर गया और माँ से लड़ने लगा कि मैं इतनी मेहनत से कमा कर लाता हूँ और तू लड्डू बना कर मजे से खाती है और तो और मुझे भी लड्डू नहीं देती है। माँ ने कहा& बेटा यह व्रत तो मैं तेरी भलाई के लिए ही कर रही हूँ] तू ही बता बेटे] भला कोई केवल लड्डू खाने के लिए दिन भर भूखा रहेगा] और रात को चन्द्रमा देख कर खाएगा। --- पर बेटे को क्रोध के कारण माँ की बात समझ में नहीं आई। उसने माँ को व्रत करने के लिए मना कर दिया और रूठकर घर से जाने लगा। माँ ने कहा& तेरी ऐसी ही मरजी है तो जा पर बेटा ये आखे लेता जा] जब भी तुझ पर कोई संकट आए चौथ माता को याद कर इसमें से कुछ आखे छोड़ देना] तेरा संकट दूर हो जाएगा।बेटा घर छोड़ कर निकल पड़ा। मार्ग में एक खून की नदी मिली। उसने आखे छोड़ते हुए कहा हे चौथ माता यदि तू सच्ची है तो मुझे रास्ता दिला। नदी में रास्ता बन गया और वह नदी के पार आ गया। आगे जाने पर उसे बाघ] भालू आदि हिंसक जानवरों वाला जंगल मिला। उसने फिर चौथ माता का नाम लेकर आखे छोड़ दिए। फिर से उसे सुरक्षित निकलने का मार्ग मिल गया। इससे उसे चौथ माता के प्रताप पर विश्वास हो गया। आगे जाकर एक ऐसे राज्य में पहुंचा जहाँ का राजा हर महीने एक मनुष्य की बली देता था। ठिकाने की तलाश में वह एक वृद्धा के घर पहुंचा। उसने देखा कि वृद्धा मालपुए बना रही थी और साथ में रोती भी जा रही थी। उसने रोने का कारण पूछा। वृद्धा ने बताया कि आज राजा उसके बेटे की बली चढाने वाला है। यह सुनकर चौथमाता पर विश्वास के चलते उसने कहा कि मुझे मालपुआ खाने को दे दे मैं तेरे बेटे की जगह चला जाऊँगा। मालपुए खा कर वह निश्चिंत होकर सो गया। राजा का बुलावा आने पर वृद्धा ने उसे जगा दिया। वह उठकर जाते हुए मार्ग में चौथमाता को याद करते हुए आखे छोड़ता गया। वह विनती करता गया कि है माता मेरे संकट को टालना। राजा ने बली देने के लिए मिटटी के घड़े पकाने का आवा तैयार कर रखा था। बेटा आवा में बैठ गया। तीन दिन निकल गए। आवा के पास खेलने वाले बच्चों ने आवा पर कंकर फैंक कर मारा तो पके आवा की ध्वनि आई। बच्चों ने राजा को आवा पकाने का समाचार दिया। राजा को आश्चर्य हुआ कि आवा पकने में तो छह महीने लगते हैं तीन दिन में कैसे पक गया। राजा आवे के पास गया तो देखा कि वहाँ पर जवारे उगे हुए थे और मिटटी के घड़ों के स्थान पर सोने चांदी के कलश दिखाई दे रहे थे।राजा आश्चर्यचकित होकर कलश उतारने लगा। इतने में आवे में से आवाज आई & हे राजा कलश धीरे धीरे उतारना। राजा डर गया कहीं लडके का भूत तो नहीं। लडके की आवाज फिर आई & हे राजन डरो मत मैं तो वही लड़का हूँ जिसकी तुमने बली दी थी।
मेरी माँ चौथमाता का व्रत करती थी उसी के प्रताप से मैं बच गया। राजा ने उसकी सच्चाई जानने के लिए उसे जंजीरों से बंधवा दिया और बोला कि अब छूट कर बता। चौथमाता सच्ची होगी तो जंजीर खुल जाएगी और मुझे बाँध लेगी। लडके ने चौथमाता का नाम लेकर आखे छोड़ते हुए कहा कि तूने मुझे तीन संकटों से उबारा अब इस चौथे संकट से भी मुझे निकाल। यह कहते से ही लड़का बंधन मुक्त हो गया और राजा जंजीर में बंध गया। राजा को खोल दिया गया।
राजाने अपनी राजकुमारी का विवाह उस लडके से कर दिया। एक दिन दोनों बैठे हुए थे तो आकाश में बिजली कड़की। जिसे देखकर लडके के मुंह से निकल पड़ा & अरे मेरे गांव में बिजली चमकी है। यह सुन राजकुमारी ने पूछा& क्या तुम्हारा कोई दूसरा गांव है \ लड़का बोला & हाँ और वहां मेरी माँ भी है। राजकुमारी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा & कैसे पुत्र हो तुम] अपनी माँ को गांव में छोड़कर यहाँ बैठे हुए हो\ बेचारी सासु माँ किस हाल में होगी। चलो अपने को गांव चलना चाहिए।------- राजा ने दोनों को बहुत सारा धन देकर विदा किया।
गांव पहुँच कर वे माँ से मिले और बोले & माँ तेरी चौथ माता की कृपा से ही मैं जीवित वापस लौट सका हूँ।------- माँ ने गांव में ढूंढी पिटवा दी कि साल में तेरह नहीं तो चार नहीं तो कम से कम दो चौथमाता के व्रत अवश्य रखें। बाद में बहु और गांव की अन्य महिलाएं भी व्रत रखने लगी और चौथमाता के आशीर्वाद से सभी सुखपूर्वक रहने लगे।
हे चौथमाता] जैसे लडके का संकट दूर किया और उसके परिवार को सुख&समृद्धि दी वैसे ही सबके दुखों को दूर करना और सबको सुख शांति देना।
अनुकरणीय सन्देश
- दृढ आस्था से की गई आराधना व्यक्ति में आत्मविश्वास उत्पन्न करती है जिससे उसे जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
- कभी किसी की आस्था पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाना चाहिए।
- अपनी माँ की भावनाओं को समझ कर आगे बात करनी चाहिए।
- सुख&समृद्धि प्राप्त होने पर अपने माता&पिता और परिवार को नहीं भूल जाना चाहिए।
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